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Archive for अक्टूबर, 2008

नया सवेरा

इस दिव्य प्रभात की बेला में
एक नया सा सूरज आया है,
जगमग किरणों के पथ से
एक नया सवेरा लाया है !!

इस प्रभात के स्वागत में
तू अपनी बाहे फैला दे,
आत्मसात कर इन किरणों को
तू अपना तन मन पिघला दे !!

अभेद्य दुर्ग के सीने पर
अपना परचम लहरा दे ,
उस परचम के पहलू में
जो सात स्वरों का साया है ,

जगमग किरणों के पथ से
एक नया सवेरा लाया है …

घना बहुत था अँधेरा,
जिसमे तू अब तक जिया है,
हर पथ पर एक विषधर था,
तूने सबका वीष पिया है ,

चलने को हो जा दृढप्रतिज्ञ ,
हर राह तुझे अपनाएगी,
भर ले अपने मन का दीपक,
ये दिव्य सुबह तब आयेगी,

तन्मय होकर गा ले फिर से,
राग जो मन मैं आया है,
जगमग किरणों के पथ से ,
एक नया सवेरा लाया है !!

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